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भारत में समलैंगिकता से जुड़ी धारा 377 को खत्म करने के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि धारा 377 गैरकानूनी है और यह दो वयस्कों के बीच सहमति से संबध बनाने से रोकती है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने कहा- इस धारा से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है क्योंकि समलैंगिकता का मसला सिर्फ यौन संबंधों के प्रति झुकाव का है। इसका लिंग (जेंडर) से कोई लेना-देना नहीं है।
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